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क्या लस्सी बनाम तक्र (छाछ/Buttermilk) कहना उचित है? लस्सी एवं तक्र जिसे छाछ (Buttermilk) भी कहा जाता है को लोग प्रायः एक ही पेय पदार्थ समझ लेते हैं जबकि वास्तव में यह दोनों एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न होते हैं।

आम बोलचाल की भाषा में अक्सर राज्य/शहर बदलने की सुरत में हम लस्सी को ही छाछ कह देते हैं और छाछ को ही मट्ठा या तक्र कह देते हैं लेकिन वास्तव में ये भिन्न हैं।

लस्सी और छाछ में क्या अंतर है यह हम इन्हें बनाने की प्रक्रिया एवं इनके स्वाद से जान सकते हैं। लस्सी व तक्र (छाछ) दोनों को बहुत ही अलग-अलग तरीके से बनाया जाता है व इनका स्वाद भी एक-दूसरे से भिन्न होता है। हम यह भी कह सकते हैं कि लस्सी एवं तक्र (छाछ) का स्वाद एक-दूसरे का विलोम होता है अर्थात उल्टा।

लस्सी बनाम तक्र

लस्सी बनाम तक्र (छाछ/Buttermilk) – क्या है वो एक सबसे बड़ा अंतर जो बनाता है दोनों को अलग?

लस्सी और तक्र में क्या अंतर है यह हम बहुत ही आसानी से पता कर सकते हैं वो भी बिना इन्हें बनाने की प्रक्रिया के बारे में जाने। जी हां, बिना इन्हें बनाने की प्रक्रिया के बारे में जाने भी हम इनके बीच के अंतर को पहचान सकते हैं। 

लस्सी एवं तक्र (छाछ/Buttermilk) में क्या अंतर है इसे पहचानने का एक बहुत ही आसान सा तरीका है और वो है इसका स्वाद। जो मीठा होता है वो लस्सी होता है और जो नमकीन होता है वो तक्र या छाछ (Buttermilk) होता है।

लस्सी बनाम तक्र – क्या हैं लस्सी और छाछ (Buttermilk) के मध्य विभिन्न अंतर?

तक्र लस्सी से किस प्रकार भिन्न है इनके बीच के विभिन्न अंतर को हम नीचे दिये गये बिंदुओं के आधार पर आइये और अच्छे से समझते हैं।

लस्सी
छाछ (Buttermilk)
उत्पत्ति का स्थान

पूरे भारत में विशेषः पंजाब

 

पूरे भारत में विशेषः दक्षिण भारत में

मुख्य सामग्री

दही, दूध, चीनी

 

दही, नमक

स्वाद

मीठी

 

नमकीन

विभिन्न फ्लैवर मिला सकते हैं?

हां

 

हां

बनाने में कठिनाई का स्तर

आसान

 

आसान

उम्र के अनुसार सेवन कर सकता है?

कोई भी

 

कोई भी

मसालों का प्रयोग

नहीं

 

कर सकते हैं

खाना पचाने में सहायक

नहीं

 

हां

वसा की मात्रा (फैट)

ज्यादा

 

कम

किसे सेवन नहीं करना चाहिए?

मधुमेह व उच्च रक्तचाप रोगियों को

 

कोई भी सेवन कर सकता है

सेवन का सही समय

दिन के किसी भी समय

 

दिन के किसी भी समय

रंग

विभिन्न

 

विभिन्न

उपयुक्त ऋतु

सभी मौसम

 

सभी मौसम

तासीर (Effectiveness)

ठंड़ी

 

ठंड़ी

विभिन्न नाम

लस्सी

 

छाछ, ताक, आदि

भूख नियंत्रण में सहायक

हां

 

नहीं

अंग्रेजी नाम

Lassi

 

Buttermilk

स्वास्थ्य लाभ

कम रक्तचाप में फायदेमंद

 

कोल्सट्रॉल कम करने में सहायक

लस्सी बनाम तक्र को हमने उपरोक्त बिंदुओं को आधार पर जाना है लेकिन इनके बीच के अंतर व समानता को और अच्छे से समझने के लिए हम ऊपर दर्शाये गये बिन्दुओं को विस्तारपूर्वक जानेंगे।

उत्पति का स्थान (Origin) – कहां किया जाता है लस्सी व छाछ को सबसे ज्यादा पसंद?

यूं तो लस्सी पंजाब जबकि तक्र यानि कि छाछ को गुजरात, राजस्थान एवं दक्षिण भारत में विशेषतः पसंद किया जाता है लेकिन देश के हर एक कौने में लस्सी हो या छाछ दोनों ही पेय पदार्थों को बहुत पसंद किया जाता है।

विशेषकर गर्मियों के दिनों में पूरे भारत में खाने के साथ व खाने के बाद लस्सी या छाछ का सेवन किया जाता है। 

छाछ व लस्सी बनाने के लिए किस सामग्री का मुख्यतः प्रयोग किया जाता है?

लस्सी व छाछ दोनों में ही दही का प्रयोग मूल रूप से किया जाता है। जहां लस्सी को बनाने के लिए मुख्यत दही, दूध, और चीनी की जरूरत होती है वहीं छाछ के लिए मुख्य रूप से दही एवं नमक की जरूरत होती है।

लस्सी को और स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें बर्फ भी मिलाया जा सकता हैं साथ ही इसमें सूखे मेवे का भी प्रयोग कर सकते हैं।

छाछ को हम नमक के साथ-साथ जीरा पाउडर, काली मिर्च पाउडर, हरा धनिया की पत्तियों, पोदीना पाउडर, हरे पोदीना की पत्तियाें आदि को मिला कर भी बना सकते हैं। छाछ को और ठड़ा करने के लिए हम छाछ में भी बर्फ मिला सकते हैं।

क्या लस्सी स्वाद में तक्र से भिन्न होती है?

जी हां। लस्सी व छाछ यानि कि तक्र का स्वाद एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न होता है। लस्सी चाहे जिस भी फ्लैवर की क्यों न बनायी जाये यह स्वाद में हमेशा मीठी ही होती है जबकि छाछ स्वाद में हमेशा नमकीन होती है।

क्या हम लस्सी और छाछ में अलग-अलग फ्लैवर मिला सकते हैं?

लस्सी व छाछ का बेस बनाने के बाद हम उसमें अपने अनुसार अलग-अलग फ्लैवर मिला सकते हैं।

लस्सी को हम विभिन्न फ्लेवर जैसे कि प्लेन लस्सी, पिस्ता लस्सी, बादाम लस्सी, चॉकलेट लस्सी, आम लस्सी, केसर लस्सी आदि के साथ बना सकते हैं।

जबकि छाछ को प्लेन सिर्फ नमक के साथ या फिर मसाला छाछ जिसे जीरा पाउडर, काली मिर्च पाउडर, हरा धनिया की पत्तियों, पोदीना पाउडर, हरे पोदीना की पत्तियाें आदि को मिलाकर बना सकते हैं। साथ ही छाछ को विभिन्न फ्लैवर के साथ जैसे कि चुकुन्दर छाछ, पालक छाछ, पोदीना छाछ आदि भी बना सकते हैं।

दक्षिण भारत में जो तक्र बनाया जाता है उसमें सरसों के बीज, हींग, व तड़का आदि का भी प्रयोग किया जाता है। छाछ या लस्सी का बेस बनाने के बाद हम उसे अपने स्वाद के अनुसार किसी भी प्रकार का फ्लैवर जो हमें पसंद हो दे सकते हैं।

क्या बनाना ज्यादा कठिन है छाछ या लस्सी?

छाछ या लस्सी दोनों को ही बनाना बेहद आसान है बस इसके लिए हमारे पास मुख्य सामग्री उपलब्ध होना जरूरी है।

अगर हम प्लेन लस्सी बनाते हैं जो कि दूध, दही व चीनी को मथ कर (Whisk) बनाई जाती है तो इसमें 5 से 10 मिनट का समय लगता है लेकिन अगर हम लस्सी के लिए अलग-अलग फ्लैवर का इस्तेमाल करके फ्लेवरड़ लस्सी बनाते हैं तो इसमें लगभग 15 से 20 मिनट लग जाते हैं।

छाछ को हम दो तरीकों से बना सकते हैं एक तो दही को बिलोकर उसमें से मक्खन को अलग करके जो छाछ बचती है उससे दूसरा दही को अच्छे से बिलोकर बिना मक्खन निकाले।

अगर हम मक्खन निकालने के बाद छाछ बनाते हैं तो इसमें दही से बिना मक्खन निकाले छाछ बनाने की तुलना में ज्यादा समय लगता है।  दूध को दही बनने में 6 से 8 घंटे लग जाते हैं जबकि दही से छाछ का बेस बनाने में 25 से 30 मिनट जबकि दही से बिना मक्खन निकाले छाछ बनाने में सिर्फ 5 से 10 मिनट लगता है।

विभिन्न मसालों का प्रयोग कर के मसाला छाछ बनाने में 5 से 10 मिनट अधिक लग जाते हैं।

क्या उम्र के अनुसार करना चाहिए लस्सी और तक्र का सेवन?

लस्सी एवं छाछ दोनों का ही किसी भी उम्र के लोग सेवन कर सकते हैं फिर चाहें वो बच्चे हों या बड़े। लस्सी हो या छाछ यह उम्र के हिसाब से किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाती है।

लस्सी या छाछ – किस में होता है मसालों का प्रयोग?

लस्सी का स्वाद मीठा होता है एवं इसे दूध, दही व चीनी के साथ बनाया जाता है। लस्सी में किसी भी प्रकार के मसालों का प्रयोग नहीं किया जाता।

जबकि छाछ को कुछ मसालों जैसे कि जीरा पाउडर, काली मिर्च पाउडर, पोदीना पाउडर आदि के साथ भी बनाया जा सकता है व इन मसालों के बिना भी। छाछ प्लैन व मसाला छाछ दोनों प्रकार से बनती है

खाना पचाने में कौन है सबसे ज्यादा प्रभावी – लस्सी या छाछ?

लस्सी दही, दूध व चीनी को मिलाकर बनती है। दही में घी की मात्रा भी होती है व दूध में भी घी क्रीम के रुप में उपलब्ध होता है अतः लस्सी किसी के भी लिए खाने को पचाने में सहायक नहीं होती है। 

तक्र यानि कि छाछ में जीरा पाउडर, नमक, काली मिर्च पाउडर, पोदीना पाउडर, हरा पोदीना, हरा धनिया मिला होने के कारण व टेक्सचर में पतला होने के कारण तक्र हमारे शरीर को खाना पचाने में सहायता करता है

क्या लस्सी में वसा (फैट) की मात्रा छाछ से ज्यादा होती है?

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि लस्सी दही, दूध व चीनी को मिलाकर बनती है एवं इसमें दही व दूध के रुप में घी की मात्रा भी उपलब्ध होती है जिसके कारण इसमें छाछ कि तुलना में ज्यादा वसा अर्थात फैट पाया जाता है। जबकि तक्र (छाछ) में मक्खन के अलग हो जाने व टैक्सचर में पतला होने के कारण कम वसा होता है।

लस्सी व तक्र किस के लिए हैं नुकसानदायक व किसके लिए हैं लाभदायक?

लस्सी में वसा अधिक मात्रा में पाया जाता है अतः यह ब्लड प्रेशर यानि कि उच्च रक्तचाप के रोगियों व चीनी मिले होने के कारण मधुमेह के रोगियों को नहीं पीना चाहिए।

छाछ अगर दही से मक्खन निकालने के बाद बनायी गई है तो इसमें घी नाममात्र भी नहीं पाया जाता है अतः इसे कोई भी आसानी से पी सकता है। छाछ में चीनी की मात्रा बिल्कुल भी नहीं होती है अतः यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी नुकसानदायक नही होती।

छाछ या लस्सी का सेवन करने का क्या है सही समय?

तक्र व लस्सी दोनों का दिन के किसी भी समय सेवन किया जा सकता है। यह हमारे शरीर को समय के आधार पर किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है।

क्या एक समान होता है लस्सी और छाछ का रंग?

यूं तो लस्सी का रंग उसके फ्लैवर पर निर्भर करता है लेकिन अगर हम प्लैन लस्सी बनाते हैं बिना किसी फ्लैवर के तो वह सफेद रंग की होती है।

छाछ का रंग भी यूं तो सफेद होता है लेकिन जब हम छाछ को भूना हुआ जीरा पाउडर या पोदीना पेस्ट या हरा धनिया पेस्ट या चुकन्दर के फ्लैवर व अन्य किसी फ्लैवर के साथ बनाते हैं तो छाछ का रंग विभिन्न फ्लैवर के रंग पर निर्भर करता है। 

कौन सी ऋतु/मौसम सबसे उपयक्त होता है लस्सी या तक्र के सेवन के लिए?

लस्सी एवं तक्र का सेवन कभी भी किसी भी मौसम में फिर चाहे गर्मी हो, बरसात हो, या सर्दी हो में किया जा सकता है।

छाछ ठंड़ा होता है तासीर (Effectiveness) में या लस्सी?

लस्सी व छाछ दोनों ही तासीर में ठंड़े होते है। अक्सर हम पेट को ठंड़ा रखने के लिए लस्सी व छाछ का प्रयोग करते हैं।

क्या लस्सी व तक्र को भारत में विभिन्न नामों से बुलाया जाता है?

तक्र यानि कि छाछ को भारत में विभिन्न नामों से बुलाया जाता है। तक्र को हरियाणा में शीत, देश के अलग-अलग स्थानों पर छाछ या मट्ठा, दक्षिण भारत में नीर मोर (Neer Moor) व महाराष्ट्र में ताक के नाम से बुलाया जाता है। 

जबकि लस्सी को देश के अधिकतर स्थानों पर लोग लस्सी ही बुलाते हैं।

क्या छाछ या लस्सी भूख को नियंत्रित करने में सहायक हैं?

लस्सी हमारी भूख को नियंत्रित करने में हमारी सहायता करती है। लस्सी में वसा की मात्रा अधिक होने के कारण व टैक्सचर में गाढ़ा होने के कारण यह बहुत देर तक हमें भूख नहीं लगने देती है।

छाछ में नमक व विभिन्न मसालें होने के कारण यह हमारे खाने को पचाने में सहायता करता है जिसके कारण हमें जल्दी भूख लगने लगती है।

लस्सी व छाछ को अंग्रेजी में किस नाम से बुलाया जाता है?

लस्सी को अंग्रेजी व हिंदी दोनों में ही लस्सी (Lassi) कह कर बुलाया जाता है जबकि तक्र यानि कि छाछ को अंग्रेजी में Buttermilk कहा जाता है

क्यों है लस्सी या छाछ का सेवन हमारे शरीर के लिए लाभदायक?

लस्सी का सेवन करने से हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। लस्सी हमारे पेट को ठंड़ा रखने में भी सहायता करती है। जिन लोगों को कम रक्तचाप की समस्या रहती है लस्सी का सेवन करना उनके लिए बहुत लाभदायक होता है

छाछ का सेवन करने के अनेक फायदें हैं। छाछ कोल्सट्रोल व उच्च रक्तचाप को कम करने में सहायक होता है। छाछ का सेवन करने से एसिडिटी की समस्या से भी निजात मिलती है। छाछ हमारे शरीर को ठंड़ा रखने में भी सहायक होती है।

लस्सी बनाम तक्र- कैसे करें सही चुनाव जब खरीदना हो लस्सी या छाछ दुकान से?

अगर आप पहली बार किसी दुकान पर लस्सी या छाछ (जिसे अक्सर हम एक ही समझ लेते हैं) खरीदने जाते हैं तो वहां लस्सी व तक्र (छाछ) के अलग-अलग पैकेट को पाकर अक्सर हम भ्रमित हो जाते हैं कि वास्तव में हमें कौन सा पैकेट खरीदना चाहिए।

पहले-पहले मेरे साथ ये बहुत बार हुआ है कि मैंने लस्सी को छाछ समझ कर खरीद लिया और छाछ को लस्सी समझ कर। क्या लस्सी ही छाछ है यह वास्तव में एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है।

लस्सी व छाछ के पैकेट को कैसे पहचाने?

अगर आप किसी दुकान पर लस्सी या छाछ लेने जाते हैं तो वहां आपको अधिकतर दो कम्पनी के छाछ या लस्सी मिलते हैं एक मदर डेयरी और दूसरा अमूल। दोनों ही कम्पनी के लस्सी और छाछ के पैकेट अमूमन एक ही रंग के होते हैं। 

जहां लस्सी का पैकेट नीले रंग का होता है वहीं छाछ का पैकेट हरे रंग का होता है। लस्सी के पैकेट में मीठी लस्सी मिलती है जबकि छाछ के पैकेट में नमकीन छाछ।

इस तरह आप रंग, नाम व स्वाद के आधार पर अपने लिए लस्सी या छाछ में से उपयुक्त चुनाव कर सकते हैं।

इस लेख को पढ़ कर अब आप जान ही गये होंगे कि तक्र और लस्सी में क्या अंतर है व लस्सी एवं तक्र वास्तव में दो अलग-अलग स्वाद, रंग आदि के पेय पदार्थ होते हैं। तो अब कभी अगर आपके सामने कोई लस्सी व तक्र में भेद न कर पाये और आपसे पूछे कि क्या छाछ को ही लस्सी कहते हैं तो आप लस्सी और छाछ (तक्र) में क्या अंतर है यह आसानी से उन्हें बताकर उनकी सहायता कर सकते हैं।